Lahaul Spiti (Image Credit-Social Media)
शिमला। हिमाचल प्रदेश का जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति अब आधिकारिक रूप से देश का पहला पूर्णतः महिला संचालित जिला बन गया है। यह ऐतिहासिक बदलाव आईएएस अधिकारी किरण बदाना की उपायुक्त के रूप में नियुक्ति से शुरू हुआ, जिसके बाद जिले के सभी प्रमुख प्रशासनिक पदों पर महिलाओं का कब्जा हो गया। यह नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस क्षेत्र में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, जो कि पुरुषों के रोजगार के लिए बाहर जाने के कारण है।
विकास की नई दिशा
लाहौल-स्पीति, जो हिमाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाके में स्थित है, ने लंबे समय तक भौगोलिक अलगाव के कारण कई चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन हाल के वर्षों में हुए विकास ने इसे प्रगतिशील शासन का एक उदाहरण बना दिया है। इल्मा अफरोज, जो सोलन में खनन माफिया के खिलाफ अपनी साहसिक कार्रवाइयों के लिए जानी जाती हैं, को अब लाहौल-स्पीति का पुलिस अधीक्षक (SP) नियुक्त किया गया है। यह स्थानांतरण राज्य सरकार द्वारा योग्य महिला अधिकारियों में विश्वास को दर्शाता है।
महिलाओं का नेतृत्व
महिला नेतृत्व में प्रशासन:
आकांक्षा शर्मा को केलांग की एसडीएम और शिखा को काजा की एसडीएम नियुक्त किया गया है। इन नियुक्तियों के साथ, जिले में पूरी तरह से महिला नेतृत्व वाली प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित हो गई है। यह परिवर्तन हाल ही में हुए महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद आया है। 2024 के उपचुनाव में अनुराधा राणा को जिले की दूसरी महिला विधायक के रूप में चुना गया, जो राजनीतिक प्रतिनिधित्व में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समावेशिता का संदेश
महिला प्रशासन का महत्व:
महिला प्रशासनिक जिला बनाना केवल एक प्रतीकात्मक कदम नहीं है, बल्कि यह समावेशिता और क्षमता का एक मजबूत संदेश भी है। यह जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व वाले शासन का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां पारंपरिक लैंगिक भूमिकाएं अक्सर महिलाओं की सार्वजनिक जीवन में भागीदारी को सीमित करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की पहलों को प्रेरित कर सकती है।
समुदाय की प्रतिक्रिया समर्थन और सराहना:
इस पहल को नागरिक समाज, लैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता से व्यापक सराहना मिली है। स्थानीय लोगों ने इस नई नेतृत्व संरचना पर गर्व और आशा व्यक्त की है। उनका मानना है कि यह व्यवस्था शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला कल्याण जैसे क्षेत्रों में पारदर्शिता और समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देगी।
प्रगतिशीलता का प्रतीक लाहौल-स्पीति का नया अध्याय:
जैसे ही लाहौल-स्पीति इस नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है, यह न केवल एक भौगोलिक सीमा के रूप में बल्कि भारत में प्रगतिशील प्रशासन और महिला सशक्तिकरण का एक प्रतीक बनकर उभर रहा है।
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